उत्तरप्रदेश में चुनाव के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन करना शुरू हो चूका है । इसी दौर में बीजेपी नेता अपर्णा यादव सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ करहल से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकती है ।हालाँकि बीजेपी के तरफ से ऐसी कोई जानकारी अब तक सामने नहीं आई है पर सूत्रों के मुताबिक अपर्णा यादव करहल विधान सभा से चुनाव लड़ सकती है। अगर बात करे अखिलेश यादव की तो उन्होंने इससे पहले कभी विधान सभा का चुनाव नहीं लड़ा है वो ऐसा पहली बार करेंगे। चुकी वह एक संसद है तो विधान परिषद् में नॉमिनेटेड होते रहें हैं। वही बीजेपी के तरफ से करहल विधान सभा सीट से अपर्णा यादव को टिकट दिया जा सकता है। बीजेपी में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव ने भी संकेत दिए हैं कि पार्टी जो फैसला करेगी, वे मानने के लिए तैयार हैं।
हालाँकि सूत्रों के अनुसार बीजेपी पहले अपर्णा को चुनाव लड़ाने का फैसला नहीं कर रही थी पर करहल विधान सभा सीट से अखिलेश यादव के नामांकन के बाद यह स्थिति बदलती हुई नजर आ रही है। अपर्णा यादव ने बीजेपी ज्वाइन की तो संदेश देने की कोशिश की गई कि मुलायम परिवार में फूट है. इसी कड़ी में अखिलेश यादव 20 जनुअरी को करहल में अपना नामांकन दाखिल किया था । यह कहना गलत नहीं होगा की यदि अखिलेश यादव के खिलाफ अपर्णा यादव उतरेंगी तो यह चुनाव काफी दिलचस्प होगा। आइये अब जानते हैं की आखिर अखिलेश यादव ने आखिर चुनाव लड़ने के लिए करहल को ही क्यों चुना। तो दरअसल करहल विधान सभा सीट पर सपा 1993 से ही जीतती आ रही है। 1993 से लेकर सपा ने अब तक 7 बार जित दर्ज की है। 2017 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी के सम्पूर्ण लहर के बाद भी करहल में लगभग 50 फीसदी वोटर सपा को मिले थे। अखिलेश यादव ने करहल से नामांकन भर कर अपने सीट को रिज़र्व करने की कोशिश की है। करहल विधान सभा पर 2007 में सपा प्रत्यासी संध्या कठेरिया ने जित दर्ज की जिसके बाद से सपा ने कभी इस सीट पर हारी नहीं है। बहरहाल यह देखना होगा की अब बीजेपी करहल से अपर्णा को लड़वाती है या कोई दूसरा चेहरा सामने आता है।