UP इलेक्शन 2022 सातवें चरण का चुनाव सोमवार को समाप्त।


प्रदेश की राजनीति में अयोध्या दशकों तक केंद्र रही है।
””रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे…”” का नारा लगातार लगाती रही भाजपा इस विधानसभा चुनाव में इस बात से आश्वस्त नजर आई कि उसका संकल्प राम मंदिर निर्माण के साथ सिद्ध होने जा रहा है। इधर, श्री काशी विश्वनाथ धाम के कायाकल्प ने भी भाजपा के सांस्कृतिक-धार्मिक राष्ट्रवाद के रंग को गहरा किया तो जनविश्वास को बढ़ाने के लिए ””जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे…”” चुनावी गीत में ””घनश्याम कृपा कर दो, मथुरा भी सजाएंगे”” को भी जोड़ दिया गया। प्रयागराज कुंभ, मां विंध्यवासिनी धाम का कायाकल्प, देव दीपावली आदि का बखान भाजपा नेता लगातार मंचों से करते रहे। इसका लाभ भगवा दल को कितना मिला, यह दस मार्च को पता चलेगा, लेकिन हिंदुत्व की इस पिच पर खेलने के लिए विपक्षी दल भी मजबूर होते नजर आए।
राउंडवार परिणाम की समय से मिलेगी जानकारी


मेरठ : विधानसभा चुनाव के लिए 10 मार्च को मतदान होगी। पहली बार दो स्थानों पर मतों की गिनती होगी। समय से राउंडवार मतगणना का परिणाम जारी करने के लिए दोनों मतगणना स्थलों के लिए दो अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। मतगणना के दौरान सबसे अधिक जिज्ञासा राउंडवार मतों की गिनती का परिणाम जानने के लिए होती है। कई बार समय से परिणाम सामने नहीं आने के कारण स्थिति अप्रिय हो जाती है। ऐसे में जिला प्रशासन का पूरा जोर राउंड वार मतों की गिनती का परिणाम जारी करने के लिए दोनों स्थानों पर दो अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई। सरदार पटेल विवि में मीडिया सेंटर पर जिला समाज कल्याण अधिकारी मौ. मुश्ताक अहमद व लोहिया नगर सब्जी व फल मंडी की जिम्मेदारी सहायक अभियंता, ग्राम्य विकास धीरेंद्र्र गर्ग के जिम्मे रहेगी। डीएम के. बालाजी ने बताया कि दोनों अधिकारी मीडिया सेंटर पर मौजूद रहेंगे और समय से मतों की गिनती का परिणाम राउंडवार उपलब्ध कराएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के तो लगभग सभी नेता रामलला के दर्शन करने पहुंचे। बसपा महासचिव सतीशचंद मिश्रा ने भी रामलला के दर्शन कर चुनाव प्रचार शुरू किया, लेकिन कांग्रेस और सपा खास तौर पर रामलला को लेकर नफा-नुकसान का आकलन करते दिखे। राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेश के कई मंदिरों में माथा टेका, लेकिन रामलला का दर्शन करने नहीं पहुंचे। इसी तरह सपा का विजय रथ अयोध्या पहुंचा। अखिलेश यादव भी वहां गए और हनुमान गढ़ी में पूजा-अर्चना की, लेकिन रामलला के दर्शन न करते हुए यह कहकर लौट आए कि जब मंदिर बन जाएगा, तब सबसे पहले दर्शन करेंगे। बेशक, अखिलेश ने अयोध्या जाकर साफ्ट हिंदुत्व का संदेश देने का प्रयास किया हो, लेकिन रामलला से उनकी दूरी के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।