उत्तरप्रदेश चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। चुनाव से पहले ही बीजेपी लगातार अपने विधायकों को खो रहा है। बीजेपी पहले ही स्वामी प्रशाद मौर्या के साथ अपने पांच नेताओंको खो चूका है और अब एक और विधायक बीजेपी का दामन छोर सपा के खेमे में जा पहुंचे है। दरअसल बीजेपी के पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान ने कल बीजेपी के पार्टी को छोड़नेपर साथ ही सपा के साइकल पर सवार होने का फैसला किया है। दारा सिंह चौहान ने कई दिनों पहले ही इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी में जाने के संकेत दिए थे. अब अखिलेश यादव की मौजूदगी में वो वह सपा के तरफ से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। आइये जानते है की दारा सिंह चौहान के बीजेपी छोडने और सपा ज्वाइन करने से दोनों पार्टयों को क्या नुक्सान और क्या फायदे हो सकते हैं। तो दरअसल डरा सिंह चौहान यूपी के पूर्वाञ्चाल की जिम्मेदारी ले कर चलते है। पूर्वांचल के हिस्से वाराणसी के साथ साथ जौनपुर,भदोही,मिर्ज़ापुर,गाज़ीपुर,गोरखपुर,कुशीनगर आदि क्षेत्र आते हैं जिनपर हर राजनितिक पार्टी की नजर रहती है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में विधानसभा की 164 सीटें हैं, जो की पूर्वांचल में राज्य की कुल सीटों का 33 फीसदी है.यानी अगर पूर्वांचल कब्जे में तो लगभग उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री की सीट कब्जे में। इसलिए हर एक राजनितिक पार्टी के लिए उत्तरप्रदेश का पूर्वांचल महत्व रखता है। पूर्वांचल उत्तरप्रदेश के चुनाव में कितना महत्वा रखता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की पूर्वांचल के वोटर्स को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री पिछले दो महीने 8 दौरे कर चुके है जिसमे उन्होंने कई नए प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास तथा कई नए सेवाओं का उद्घाटन किया।
अगर बात करे दारा सिंह चौहान की तो उनकी राजनैतिक करियर जरा उथल पुथल रही ह। पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मूल निवासी दारा सिंह चौहान मऊ जिले की मधुबन विधानसभा सीट से 2017 में विधायक चुने गए और योगी की सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बने थे। इसके पहले चौहान 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए, लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही वह सपा में शामिल हो गए। दोबारा उन्हें समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा में भेजा और 2006 तक चौहान राज्यसभा के सदस्य रहे। बाद में वह फिर बसपा में वापस लौट आए और 2009 में घोसी लोकसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए।2014 के लोकसभा चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के हरिनारायण राजभर से पराजित होने के बाद वर्ष 2015 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और भाजपा नेतृत्व ने उन्हें भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था। और एक बार फिर उन्होंने सपा का हाथ थम लिया है। दरअसल दारा सिंह चौहान का कहना है की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछड़ों, दलितों, वंचितों, किसानों और बेरोजगारों की उपेक्षा किया है जिसके वजह से वह पार्ट से इस्तीफा दे दिए है। कुछ ही दिन पहले स्वामी प्रशाद मौर्या ने भी यही कारण दे कर बीजेपी का साथ छोरा था। दारा सिंह चौहान के बीजेपी को काफी नुक्सान हो सकता है। दरअसल दारा सिंह चौहान दलितों के नेता हैं और पूर्वांचल में अपने संसदीय क्षेत्र से विजेता भी रह चुके हैं ऐसे में दारा सिंह दलित वोटों के लिए किसी भी राजनैतिक पार्टी के लिए फायदेमंद शाबित होंगे। बहरहाल उत्तरप्रदेश का चुनाव 10 फेब्रुअरी से सुरु हो जाएगा अब देखना होगा की कौन सी पार्टी इस युद्ध में विजय हासिल करती है।