पर्यटकों के लिए अच्छी खबर यह है कि लंबे समय बाद गोलघर की सीढ़ियों की मरम्मत का काम शुरू हो गया है। इसके पूरा होते ही पर्यटकों का गोलघर पर चढ़ने की इक्छा बहुत जल्द पूरी होगी।


पटना की पहचान गोलघर सिर्फ दीदार करने तक के लिए ही सिमट कर रह गया था।मरम्मत के नाम पर पिछले एक दशक से गोलघर को बंद कर रखा गया था।जिसकी वजह से गोलघर पर चढ़ने की इक्छा लेकर आने वाले पर्यटक सिर्फ गोलघर का दीदार ही कर लौट जाते थे।
गोलघर के दोनों तरफ की सीढ़ियों की मरम्मत का कार्य ASI द्वारा 12 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है। सीढ़ियों के प्लास्टर को हटाकर सुर्खी चूने का नया प्लास्टर लगाया जाएगा। सीढ़ियों के कोण में मजबूती के लिए मेटल का एंगल लगाया जाएगा। ताकि सीढ़ियों का कोण जल्दी ना टूटे। वर्ष 2011 में गोलघर की दीवारों पर दरारें दिखने के बाद राज्य सरकार ने इसके संरक्षण का निर्णय लिया था। सर्वे के बाद 2012 में ASI को काम सौंपा गया। दरारें भरी गई गोलघर के पुराने प्लास्टर को निकालकर उसकी जगह सुर्खी चूना का प्लास्टर लगाया गया। जिसमें पांच से छह साल का समय लग गया।
अनाज भंडारण के लिए बना था गोलघर।1770 में पड़े भयंकर सूखे के बाद अनाज भंडारण के लिए इसके निर्माण की योजना बनी थी। ये अलग बात है कि कभी अनाज का भंडारण नहीं हो सका। तत्कालीन गवर्नर जनरल हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी। ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन जान गास्टिन ने 20 जनवरी 1784 को निर्माण शुरू कराया था। जो 20 जुलाई 1786 को पूरा हुआ। इसमें एक लाख 40 हजार टन अनाज रखा जा सकता है।