भारत हमेशा से एक कृषि प्रधान देश रहा है . वैसे तो कृषि पाषाण काल से होनी शुरू हो गई थी मगर इतिहासकारों के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान सिंधुनदी के काँठे के पुरावशेषों के उत्खनन यह बताता है की आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व भी लोग कृषि कर के जीविकोपार्जन करते थे. अगर बात करे खेती के तकनीकों की तो उस समय और आज के समय के बिच कई सारे बद्लावाव हुए हैं . समय समय पर कृषि जगत में औद्योगिक क्रांति की वजह से कृषि करना और भी आसान हुआ है. अगर भारत में कृषि को देखे तो देश की 58 प्रतिशत जनता आज भी कृषि पर निर्भर है । 2021 के बजट के अनुसार भारत के कुल इकॉनमी का लगभग 17 प्रतिशत किसी क्षेत्र से आता है । कृषि क्षेत्र आज भी देश का सबसे बड़े रोजगार सृजन का जरिया है । अगर हम आकड़ों को देखे तो देश के लगभग 40 प्रतिशत लोगों का प्रारंभिक व्यवसाय कृषि है । कृषि एवं किसान कल्याण बिभाग के एक रिपोर्ट भूमि उपयोग सांख्यिकी 2016-17 के अनुसार,देश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 328.7 मिलियन हेक्टेयर है , जिसमें से 139.4 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध बोया गया क्षेत्र है और 200.2 मिलियन हेक्टेयर सकल फसल है जो की पिछले आंकड़ों से 2.4 प्रतिशत ज्यादा मापा गया है जो यह बताता है की किसानो के लिए खेती करना पहले के मुकाबले आसान हुआ है .
भारत सरकार कृषि क्षेत्र को और भी सिदृढ़ करने में जुटी हुई है ,इसके लिए वो किसानो को हर वह जरुरी चीजे मुहैया करा रही है जो एक किसान को उन्नत खेती करने में मदद कर सकती है । बात चाहे खेती उपकरणों की हो या खेती से जुडी जानकारी की भारत सरकार हर तरह से किसानो की मदद करने की कोशिश कर रही है जिसमे सोशल मीडिया एक अहम् किरदार निभा रहा है । दरअसल सोशल मीडिया ने कृषि जगत में एक नई क्रांति ला दी है । किसान पहले खेती के टिप्स और खेती से जुडी जानकारी अन्य किसानों के साथ बातचीत करते हैं। लेकि अब डिजिटलीकरण के इस युग में किसान ईमेल, एसएमएस, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और ब्लॉग के जरिए इस बात का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक। सोशल मीडिया भारतीय फार्म का नवीनतम उत्तरजीविता उपकरण बन गया है। मोबाइल के बढ़ते उपयोग ने किसानो के जीवन को सरल बना दिया है । हालांकि अभी भी किसानो की एक बृहत् आबादी इन सारे सुविधाओं से अनभिज्ञ है या अगर जानता भी है तो सिर्फ सुनाने के नाम तक जानता है । इसका एक बड़ा कारण शिक्षा हो सकता है । हालाँकि सरकार सोशल मीडिया कैंपेन के जरिये लोगो को जागृत करने की कोशिश कर रही है । वह सोशल मीडिया और दूरदर्शन प्रसारण के जरिये किसानो को खेती से जुड़े योजनाए , कृषि लोन , कृषि उपकरण ,खाद सामग्रीः कृषि करने के टिप्स ,उन्नत बीजों आदि के बारे में जानकारी पहुंचा रही है ताकि किशानो को खेती से अधिक से अधिक मुनाफा हो । इसके अलावे सरकार सोशल मीडिया कैंपेन के जरियों किसानो को शिक्षा के लिए जागृत भी कर रही है । हालांकि इस बात से मुकरा नहीं जा सकता की देश के छह लाख गांवों में बहुत कम ही कंप्यूटर और मोबाइल्स और टेबलेट हैं मगर फिर भी कृषि जगत में यह थोड़ा बदलाव भी किसानो की जिंदगी आसान और खुशाल बना दिया है । 2009-10 में खर्च पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 0.5% से भी कम परिवारों के पास घर में इंटरनेट की सुविधा है। लेकिन यह अब इंटरनेट एक्सेस में बाधा नहीं है। हर 10 में से चार ग्रामीण लोगों की जेब में मोबाइल फोन के साथ, इंटरनेट, फेसबुक और ईमेल एक पुश-बटन दूर हैं। वाकई सोशल मीडिया ने कृषि जगत में एक क्रांति ला कर रख दिया है ।