राजधानी पटना से सटे फतुहा जगह जहां 136 साल पुराने और टूटे हुए लोहे के पुल पर लोग जुगाड़ के सहारे चलने को मजबूर हैं। अगर जुगाड़ नहीं लगाया जाता है तो आधे किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए लोगों को चार किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। फतुहा में पुनपुन नदी पर अंग्रेजों द्वारा बनाया गया 136 साल पुराना लोहे का पुल साल 20 मई 2021 को ध्वस्त हो गया।पुल टूटने के बाद लोगो की परेशानी बढ़ भी गई।


जिसके बाद फतुहा नगर परिषद के चार वार्ड के लोगों का पवित्र त्रिवेणी घाट संगम पर पहुंचना मुश्किल हो गया था। स्थानीय लोग चार किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचते थे। और टूटा हुआ पुल काफी खतरनाक भी हो गया था। उस पर पैदल भी चलना मुश्किल था। इसे ठीक कराने के लिए स्थानीय लोगों ने बिहार के पथ निर्माण मंत्री को चिट्ठी लिखी। वहीं, स्थानीय सांसद रविशंकर प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी दी।घटना के बाद सरकार की ओर से आश्वासन भी मिला। पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर आए और पुल की नापी भी हुई लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ। इस बात से नाराज स्थानीय लोगों ने कई बार धरना प्रदर्शन भी किया।
लेकिन पुल निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में लोगों ने अक्टूबर महीने में चंदा लेकर पुल को पैदल यात्रियों और बाइक सवार यात्रियों के आने-जाने के लायक बनाया। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि पुल का जल्द से जल्द फिर से निर्माण हो। नहीं तो फिर से स्थानीय लोगों द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा। स्थानीय लोगों ने कहा कि पुल के पुराने होने के कारण पुल पर बड़ी गाड़ियों के परिचालन पर बीते 25-30 सालों से रोक दिया गया था। लेकिन कुछ सालो से बड़ी गाड़ियों का परिचालन मनमाने ढंग से शुरू हो गया है। ऐसे में पुल ध्वस्त हो गया है।