बिहार मे जातिगत जनगणना को लेकर लंबे समय से बहस चलती या रही है । पहले यह बहस दो राजनीतिक पार्टियों के बीच हुआ करती थी अब यह बहस कोर्ट मे चल रही है । बात दें की हाई कोर्ट मे जातिगत जनगणना को लेकर आज सुनवाई हुई जिस पर कल हाई कोर्ट फैसला लेने वाली है । चीफ जस्टिस कृष्णन विनोद चंद्रन की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दरअसल जातिगत जनगणना पर रोक लगाने के लिए 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट मे एक याचिका दायर की गई जिसमे जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की बात कही गई है । बिहार सरकार की ओर से गणना असंवैधानिक है। वहीं, शीर्ष अदालत ने मामला बिहार से जुड़ा होने के कारण पटना हाईकोर्ट में सुनवाई करने का आदेश दिया था।


.कोर्ट ने सुनवाई के व्यक्त पूछा की आखिर जातिगत जनगणना की जरूरत क्या है तथा इसके उदेश्य क्या है ? इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा की इसे लेकर कोई कानून बना है या नहीं तथा यह जनगणना किसके अधिकार क्षेत्र मे आती है । महाधिवक्ता पीके शाही ने अपना जवाब दिया। सरकार सभी बातों का ध्यान रखकर इसे करवा रही है। उन्होंने कहा की बिहार की कई ऐसी ट्राइब है जो गिनती मे नहीं आती साथ ही जातिगत जनगणना से बिहार मे गरीब लोगों के लिए नीतियाँ बनने मे मदद मिलेगी ।