चाहे कर ले तू जितने सितम तेरा साथ न छोड़ेंगे हम , चिराग पासवान और बीजेपी की दोस्ती कुछ ऐसी ही हो रही है साबित

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राजनीति के दावं पेच बिलकुल क्रिकेट की तरह होते हैं कब किसपे भारी पर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता और अगर राजनीती बिहार की हो तो यहाँ की बात ही कुछ और है। यहाँ एग्जिट पोल पर 85 प्रतिशत वोट प्राप्त करने वाला वास्तविक आंकड़ों में निचले पायदान पर रहता है। एक पल में जो एक दूसरे की कमिया गिनवाते नहीं थकते हैं वो अगले ही पल में दोस्ती की कसमें खाते हैं। और बिहार के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो यह और भी दिलचस्प और हैरान करने वाली बातें होती है। जिस तरह से उपचुनाव के दौरान कभी एक दूसरे के प्रतिद्वंदी रह चुके लोग आज एक दूसरे से गले मिल रहें है ऐसा प्रतीत हो रहा है की सूरज बड़जातिया की कोई पारिवारिक फिल्म का क्लाइमेक्स चल रहा है जहाँ अंत में सब लोग मिल रहें होते हैं । कल तक जो एक दूसरे की कमियाँ इस तरह से निकाल रहें थे जैसे भुस के ढेर में कोई सुई ढूंढी जाती है ,आज एक दूसरे के गुणों का बखान करते नहीं थक रहें हैं। जी हाँ हम बात कर रहें हैं चिराग पासवान की ,दरअसल चिराग अपनी पार्टी, पद और बंगला गंवाने के बाद भी बीजेपी का उपचुनाव में समर्थन कर रहें हैं।

Chirag Pasvan

छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे हैं उपचुनाव

दरअसल देश के छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार आज मंगलवार शाम पांच बजे थम जाएगा. बिहार की मोकामा-गोपालगंज के साथ साथ हरियाणा की आदमपुर, उत्तर प्रदेश की गोला गोकर्णनाथ, मुंबई की अंधेरी ईस्ट सीट, तेलंगाना की मुनुगोड़े और ओडिशा की धामनगर विधानसभा सीट पर तीन नवंबर को मतदान है. बिहार की बात करें तो मोकामा सीट पर आरजेडी से पूर्व विधायक अनंत कुमार की पत्नी नीलम देवी और बीजेपी से बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी के बीच मुकाबला है वहीं गोपालगंज सीट पर बीजेपी से पूर्व विधायक सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी, आरजेडी से मोहन प्रसाद गुप्ता और बसपा से अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव मैदान में है. 

चिराग पासवान के बदले बोल

अब उपचुनाव के दौरान चिराग बीजेपी का प्रचार प्रसार करते नजर आये हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया है की एक दफा फिर वह बीजेपी का दमन थाम रहें हैं। अगर देखा जाए तो चिराग के पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। क्यूंकि वह अकेले न तो RJD से लड़ सकते हैं न ही JDU से और अब जब इनका गठबंधन है तो ये और भी मुश्किल है। ऐसे में बीजेपी चिराग के लिए नाविक साबित हो सकती है।