दरअसल बिहार मे पंचायत चुनाव को लेकर प्रत्याशियों मे प्रचार प्रसार को लेकर इंटरनेट माध्यम हीं सशक्त दिखायी दे रहा.. मतदान और प्रतीक चिह्न मिलने के बीच महज आठ से दस दिन ही प्रत्याशियों को प्रचार करने का समय मिलेगा। कम समय में पंपलेट, बैनर और मतदताओं तक अपना सिंबाल पहुंचाना प्रत्याशियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है।
लिहाजा उन्होंने भी प्रचार का दूसरा रास्ता अख्तियार कर लिया है। प्रत्याशी अब इंटरनेट मीडिया के सहारे लोगों तक अपना सिंबल पहुंचाने में लगे हैं। साथ ही पंचायत में छह पदों के लिए होने वाले चुनाव में विकास के बारे में लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण परिवेश में रहने की वजह से प्रत्याशियों द्वारा वाटसएप और फेसबुक को ही अपना हथियार समझ रहे हैं। इसके लिए ग्रामीण स्तर पर कुछ युवाओं के सहारे अपना परिचय और पंचायत में विकास करने के वादे कर रहे हैं ।