चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के इरादे से शायद ही अब कोई वाकिफ नहीं होगा। जिस तरह से प्रशांत किशोर राजनैतिक रूप से सक्रिय है उसे देख यह कहना बिलकुल सही होगा की वो बड़े टारगेट की और बढ़ रहें है। प्रशांत किशोर पिछले एक महीने से जन सुराज पद यात्रा पर हैं। उन्होंने यह यात्रा 2 अक्टूबर गांधी जयंती को शुरू की थी। प्रशांत किशोर इस यात्रा का उद्देश्य जनता के मिजाज को जानना था। उन्होंने कहा था की वह 3500 किलोमीटर पद यात्रा के बाद , लोगों से मिलने के बाद यह तय करेंगे की वह राजनितिक पार्टी का गठन करेंगे या नहीं। और आज पदयात्रा के एक महीने पूरे होने पर पीके ने कहा है कि वे राजनीतिक दल के गठन को लेकर 11 या 12 नवंबर तक फैसला लेंगे.


अब तक पूरी की 300 किलोमीटर की यात्रा
प्रशांत किशोर ने इस पदयात्रा के दौरान अब तक 300 किलोमीटर की यात्रा तय की है और अब जब उन्होंने कहा है की वह 11 या 12 नवंबर तक फैसला लेंगे तो ऐसा मन जा सकता है की वह अपनी पदयात्रा पूरी होने से पहले ही निर्णय ले सकते हैं। प्रशांत के पद यात्रा के बिच में इस निर्णय को लेना इस बात की तरफ इशारा करता है की वो जनता का मिजाज जानने में कामयाब हो गएँ हैं। हालाँकि पार्टी का गठन होगा या नहीं ये तो अब 11 या 12 नवंबर को ही पता चलेगा।
जदयू के साथ मिल कर किया था अपने सियासी सफर का आगाज
प्रशांत किशोर जदयू के साथ मिल कर अपने राजनितिक करियर की शुरुआत की थी। बाद में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मैराथन बैठकों का दौर चला लेकिन बात नहीं बनी और पीके ने खुद सामने आकर ये ऐलान किया कि वे देश की सबसे पुरानी पार्टी में शामिल नहीं होंगे.और अब वह खुद की पार्टी खड़ी करने के कगार पर हैं। अपनी पदयात्रा शुरू करने वाले पीके ने कहा है कि वे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव, दोनों के साथ-साथ बीजेपी के भी विरोध में हैं.
यात्रा के दौरान जदयू पर किये तीखे बोल
पीके की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदिता नितीश कुमार से कही जा सकती है क्यूंकि अपनी पद यात्रा के दौरान प्रशांत ने अकसर नितीश कुमार पर शब्दों से हमला करते नजर आएं हैं। कल मीडिया से बात करने के दौरान उन्होंने फिर नितीश पर निशाना साधा। पीके ने सीएम नीतीश की तुलना पेंडुलम से करते हुए उन पर तंज किया कि वे बार-बार पाला बदलते हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि संभावना है कि एक बार फिर नितीश कुमार अपना पलड़ा बदल सकते हैं। उन्होंने कहा की नितीश कुमार को चाहे जो करना पड़े वो करेंगे ताकि उनकी कुर्शी बची रहें चाहे फिर उन्हें पेंडुलम ही क्यों न बनना पड़े।