दहेज़ जैस कुप्रथा से हमारा देश ब्रिटिश शाशन काल से ही लड़ता चला आ रहा है। परन्तु इसे अब तक समाज से पूरी तरह ख़तम नहीं किया गया है। हमें अक्सर दहेज़ के वजह से महिलाओं की जान जाने की खबर मिलती रहती है। ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली खबर बिहार के नवाद से आई है जहाँ दहेज़ के बोझ सीने पर लेकर एक लड़की फंदो पे झूल गई। दरअसल नवादा के अकबरपुर थाना क्षेत्र के दरियापुर गांव में रहने वाले माधवेंद्र चौधरी की बेटी विनीता कुमारी की शादी छह महीने पहले जिले के दरवे गांव में तय की गई थी। जिसके बाद उन्हें छह महीने के भीतर निर्धारित रकम देने थे परन्तु छह महीने बाद भी रकम जमा न होने के बाद लड़की के पिता माधवेंद्र चौधरी ने लड़के वालों को फोन पर अपनी ब्यथा सुनाई जिसके बाद लड़के वालों ने दो साल शादी न करने की बात कहि। इस बात से आहात हो कर विनीता ने मौत को गले लगाना ही उचित समझा। अपने पिता के सर पर बोझ देने से बेहतर उसने मौत के फंदो पर अपना सारा बोझ दे डाला।
पिता ने बताया की विनीता अपने शादी को लेकर काफी खुश और एक्साइटेड थी। मगर दहेज़ के रकम इकठा नहोने और लड़के वालों के तरफ से रिस्ता तोड़ने की वजह से वह काफी दुखी हो गई थी। जिसके बाद उसने ऐसा कदम उठा लिया। ऐसी पहली दफा नहीं है जब दहेज़ के वजह से किसी लड़की ने अपनी जान दी है। यह परंपरा तो सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। दहेज़ के वजह से मौत के मामले में बिहार शीर्ष स्थानों में जगह रखता है। वर्ष 2020 के आंकड़े के अनुसार देश भर में दहेज़ से होने वाली कुल मौतों की संख्या 6966 रही। अगर बात बिहार की करे तो बिहार में भी दहेज़ की वजह से मौत की संख्या अधिक रहती है। सुप्रीम कोर्ट और भारत की कानून व्यवस्था ने दहेज़ से जुड़े कई नियम लाये हैं परन्तु आज भी यह उसी तरह से लिया और दिया जा रहा है जैसे पहले लिया और दिया जाता था। बस दहेज़ लेने के तरीके बदल चुके हैं। फिलहाल अभी के लिए इतना ही देखते राजें टीडी न्यूज़