देश में करो ना जिस प्रकार से फैल रहा है इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाले दिनों में स्थिति और भी बुरी हो जाएगी जहां एक तरफ कोरोना लगातार अपनी संख्या बढ़ा रहा है वहीं दूसरी तरफ ऑक्सीजन की समय पर आपूर्ति ना होने की वजह से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। कोरोना की वजह से मौतें इतनी बढ़ गई है कि शमशान घाट पर सिर्फ धुआं ही धुआं दिख रहा है। धधकती हुई राखें चीख चीख के सच्चाई को गाथा सुना रही है , बता रही हैं की कोरोना ने लोगों की जिंदगी पर किस प्रकार से असर डाला है ।
लोग अपनों से बिछड़ रहे हैं कोई अपनी मां खो रहा है, तो कोई पिता ,कोई भाई खो रहा है तो कोई बहन । ना जाने कितने लोगों ने अपनो को खो दिया। ना जाने कितने बच्चे अनाथ हो रहे हैं।
यजुर्वेद और अथर्ववेद में लिखा गया है कि पर्यावरण और पृथ्वी का संतुलित होना जरूरी है । और समय समय पर पर्यावरण खुद को संतुलित भी कर लेती है । बढ़ती जनसंख्या और घटते संसाधन बेशक इस तरफ़ इशारा कर रहें हैं की पर्यावरण में असंतुलन बना हुआ है ।
इतिहास गवाह रहा है की प्राचीन काल से ही कई महामारियों की मार इंसानों ने झेला है । उस वक्त के फैले महामारी ने न जाने कितनों की जानें ले ली ।
आइए जानते हैं ऐसे हि अब तक के चार महामारियों के बारे में जिसने इंसानों के बढ़ती जनसंख्या को मौत की बढ़ती जनसंख्या में बदल दिया ।
The great 3rd plague(1855-1969)
यूं तो प्लेग 1347 ईस्वी से ही दुनिया के अलग अलग देशों पर अटैक करता रहा था । जैसे अमेरिका , लंदन , जर्मनी , आदि और भी कई देश इस महामारी में शमीली थे । परन्तु 1855 के बाद प्लेग ने एक वैश्विक महामारी का रूप ले लिया जिसने देखते ही देखते कई महादेशों को अपनी चपेट में ले लिया। पूरे विश्व में अलग अलग जगह पर अलग अलग टाइम पर प्लेग ने बर्बादी मचाई थी । भारत में प्लेग का अटैक 1896 में हुआ जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित शहर था मुम्बई जो उस वक्त बम्बई के नाम से जाना जाती थी । आंकड़ों के अनुसार उस वक्त 2 लाख लोगों की जानें गई थी । कितनी मौतों की गिनती भी नहीं हुई । इसके अलावे हांगकांग (1854), सिडनी (ऑस्ट्रेलिया 1900), अमेरिका (1924) ,आदि कई शहरों में प्लेग की वजह से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । उस समय की आंकड़े बताती है की प्लेग से पूरे विश्व स्तर पर लगभग 1 करोड़ 22 लाख लोगों की जान गई थी । जो काफी डरावना और दिल दहला देने वाले आंकड़े हैं । कई किताब तो यह भी लिखते हैं की आंकड़े इतनी थी की सही सही गिनी न जा सकती थी ।
The plague of Justinian(541-542)
प्लेग ने दुनिया पे कई बार अटैक किए । कही इसने काम तबाही मचाई तो कहीं मौत का तांडव किया । 541 ईस्वी में मिश्र , इटली , रोम आदि कई एशियाई देशों में प्लेग ने दस्तक दी । हालात इतने बुरे थे की प्रतिदिन 5000 से ज्यादा मरीज रोज मरने लगे और देखते ही देखते इस महामारी नेसने पूर्वी मेडिटेरिनियन और कॉन्स्टेंटिनोपल शहर की 40 फीसदी आबादी को हमेशा के लिए सुला दिया. पूरे विश्व में इस बीमारी से करीब 4 करोड़ लोगों की जान गई थी । और यह आंकड़ा उस समय की जनसंख्या का 10 प्रतिशत था ।
Spanish flu (1918-1920)
स्पैनिश फ्लू दुनिया के सबसे डरावने महामारियों में से एक है जिसके पीछे का कारण है इसकी संक्रमण फैलने की त्रीवता। यह बीमारी h1n1 इन्फ्लूएंजा विषाणु के शरीर में फैलने की वजह से होता है 2009 में फैली स्वाइन फ्लू भी इसी वायरस का एक स्ट्रेन है । 1918 में फैली स्पेनिश फ्लू ने पूरे विश्व भर में लगभग 50 करोड़ लोगों को संक्रमित किया । जो इस समय दुनिया के आबादी का एक चौथाई था ।
बताया जाता है की यह बीमारी प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) से लौट रहे सिपाहियों के साथ आया था ।
जंग के सिपाहियों ने जंग खत्म होने के बाद घर वापसी कर रहे थे । जिसके बाद इस फ्लू ने अपना प्रकोप सब पे डाल दिया । यूं तो किताबों में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 4 से 5 करोड़ के बीच है परंतु ऐसा माना जाता है की इस वायरस से करीब 10 करोड़ लोगों की जान गई थी ।
Small pox
स्मॉल पॉक्स या चेचक या छोटी माता या लाल चेचक । यूं तो चेचक का इतिहास बहुत पुराना रहा पर 7 वी शताब्दी में इसने जापान को बुरी तरह प्रभावित किया और लाखों लोगों की जान ले ली। इसका कहर इतना ज्यादा था की लोग उसे भगवान का अभिशाप मानकर डर से पुजा करने लगें । आज भी कई जगह यह प्रावधान चलता है । हालांकि पंजाब के तबाही मचाने के बाद इसका प्रकोप कम हो गया था परंतु 1820 में इसने फिर एक बार लोगों को चपेट में लिया , स्थान था उत्तरी अमेरिका का शहर मैक्सिको ।
इस बीमारी ने तकरीबन 6 से 7 करोड़ लोगों को मौत के नींद सुला दी ।
और अब जब एक बार फिर जब पुरा विश्व इस कोरोना महामारी को झेल रहा है तो अब तक 10 लाख से ऊपर मौतें हो चुकी है । हालांकि ये पिछले आंकड़ों से कम है परंतु हम उपर वाले से दुआ करते है की हम उस स्थिति में न ले जाए।
सुमित साहित्य