शराबबंदी को लेकर पिछले कुछ दिनों से बिहार सरकार काफी श्कहत हो गई थी। पिछले कुछ दिनों में पुरे बिहार में कई जगह शराब को ले कर काफी छापेमारियाँ हुई है। लेकिन अब बिहार सरकार शराबबंदी कानून में कुछ ढील देने जा रही है ,दरअसल शरबबंदी कानून को लेकर विपक्ष लगतार बिहार सरकार पर हमला कर रही है जिसे देखते बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में कुछ बदलाव कर सकती है। पुराने नियम के अनुशार शराब पिने वाले ब्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा था और शराब परिवहन के लिए इस्तेमाल किये जा रहे वहां को जब्त कर लिया जाता था। लेकिन अब नए नियम के अनुसार पहली बार शराब पिने वाले ब्यक्ति को जिसका पहले से थाने में कोई रिकॉर्ड नहीं है उसे गिरफ्तार करने के बजाय उससे जुर्माना उसूल कर उसे छोड़ दिया जाए। वहां को भी जब्त करने के बजाय उसपर भी जुरमाना लगाकर छोड़ दिया जाए। तत्काल गिरफ्तारी से संबंधित खंड को हटाया जा सकता है। वहीं अवैध तरीके से शराब बनाने, बेचने या वितरित करने वालों को कानून की सख्ती का सामना करना पड़ेगा। बिहार सरकार के शराबबंदी कानून पर जम के आलोचना हो है जिसे देखते हुए नितीश सरकार ने इसमें कुछ बदलाव करने का फैसला लिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने पिछले महीने इसे ‘दूरदर्शिता की कमी’ के उदाहरण के तौर पर चिह्नित किया था। उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह है कि उच्च न्यायालय ‘जमानत आवेदनों से भरा हुआ है … एक साधारण जमानत आवेदन को निपटाने में एक वर्ष का समय लगता है। भारत के न्यायिक ब्यवस्था को देखते हुए यह कहा जा सकता है की नितीश सरार के इस फैसले से निश्चित ही उच्च न्यायलय को परेशानी का सामना करना पर रहा है।
संसोधन के बाद क्या होंगे नियम आइये जानते हैं दरअसल ,
धारा 37 के तहत शराब पीने पर पांच साल से लेकर 10 साल तक की जेल और आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। संशोधन राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित जुर्माना लगाने और जुर्माना ना देने की स्थिति में एक महीना कारावास की सजा देने को कहता है।
संशोधन के तहत, अपराधों को ‘एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा सारांश परीक्षण के माध्यम से निपटाया जाएगा, जो डिप्टी कलेक्टर के पद से नीचे का नहीं होगा।’यह संसोधन अदालतों पर कार्य भार काम करने हेतु किया गया है। अब से पहले सारे मामलों की सुनवाई निचली अदालतों में होता ह।
धारा 55 को हटाया जाएगा और धारा 57 को शामिल किया जाएगा ताकि शराब ले जाने के लिए जब्त किए गए वाहनों को जुर्माने के भुगतान पर छोड़ने की अनुमति दी जा सके।
छोटे, व्यक्तिगत उल्लंघनों के बजाय आपराधिक नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, एक नई उप-धारा 50 ए जोड़ने की योजना है। जो बूटलेगिंग (आदतन अपराधी) को संगठित अपराध के रूप में परिभाषित करती है।इसके अलावे अधिनियम के अध्याय VII को हटाया जाएगा, जो अभियुक्तों के नजरबंदी और बंदी से संबंधित है, इसके तहत उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध था। इसमें इसके प्रमुख खंडों को भी हटाना शामिल होगा, जैसे धारा 67 (बाहरीकरण की अवधि का विस्तार), धारा 68 (अस्थायी रूप से लौटने की अनुमति), धारा 70 (तत्काल गिरफ्तारी)।
ये सारे नियम पिछले साल जहरीली शराब पिने के कारन हुए ५० से भी अधिक लोगों के मौत के बाद लाया गया था। हालाँकि अब इसमें कुछ बदलाव कर दिए गए हैं।