आपने अक्सर एक कहावत सुना होगा की सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे जी हाँ कुछ ऐसी ही स्थिति आजकल पंजाब में भी देखने को मिल रही है . दरअसल पंजाब कांग्रेस में आपसी घमाशान के बिच चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का अगला मुख्यमंत्री बनाया गया है । कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर बड़ा दाव खेला है ,कांग्रेस के चरणजीत को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे बेशक कई वजहें हैं पर सबसे बड़ी वजह पंजाब कांग्रेस के आपसी कलह को शांत करना और कांग्रेस काफी हद तक इसमें सफल भी देखि जा रही है । आइये जानते हैं की आखिर कोंग्रस ने चरणजीत सिंह चन्नी पर ही दाव क्यों खेला , तो दरसल कैप्टेन अमरिंदर सिंह कोंग्रस के एक बड़े नेता है उनके खिलाफ जा के पंजाब में सरकार बना पाना कोंग्रस के लिए काफी मुश्किल है ऐसे में अगर कोंग्रस अंबिका सोनी से लेकर सुनील जाखड़ और फिर खुद नवजोत सिंह सिद्धू और उसके बाद अमरिंदर विरोधी सुखजिंदर रंधावा में से किसी को अगर मुख्यम्नत्री बनाते तो निश्चित रूप से कैप्टेन इसका विरोध करते और पार्टी टूटने का डर भी बना रहता ।
नतीजतन कांग्रेस ने चरणजीत सिंह पर दाव खेला । चरणजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनाने से कोंग्रस कुछ और फायदे में है । दरअसल चन्नी एक तो सिख चेहरा हैं और साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुकाबले युवा हैं. सिख होने के साथ दलित समुदाय से आते हैं. कांग्रेस इस तरह से उन्हें अकाली दल और बीएसपी के गठबंधन की काट के तौर पर भी देख रही है. और चौथी क्वालिटी ये कि चन्नी भी अमरिंदर सिंह विरोधी कैंप के हैं. पिछले कई दिनों ने नवजोत सिंह सिद्धू के सुर में सुर मिला रहे थे। कांग्रेस ने बड़ी चालाकी से इस फैसले को लिया है .