कहते हैं की सत्ता अधिग्रहण के साथ साथ कई जिम्मेदाइयों का भी अधिग्रहण हो जाता है ,और एक कुशल नेता वही होता है जो उन जिम्मेदारियों कोअच्छे से निर्वहन कर ले । अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार बनाने के बाद तालिबान के पास उस सरकार को चाल्ने की संकट सामने आई है .दरसल तालिबान के पास बंदूकें और गोलिया तो हैं मगर सरकार चलाने के लिए उसके पास पैसे नहीं है । ताज मिली ख़बरों के मुताबिक़ अफगानिस्तान के फण्ड में अब इतने पैसे नहीं बचे की वह अपनी आवाम पे खर्च करे और पिछले कुछ सप्ताह में हुए क्षति को पूर्ति करे । इधर अमेरिका ने भी अफगानिस्तान के लिए वर्ल्ड बैंक के पैसे को फ्रीज़ कर दिया है .ऐसे में तालिबान के पास इस वक़्त सरकार चलाने के लिए फण्ड की आवस्यकता है । हालाँकि पाकिस्तान तालिबान के लिए फण्ड जुगाड़ करने में जी जान से जूता हुआ है ,पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद साह महमूद कुरैशी ने कल कुछ अन्य एसीआई देशों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई जिसमे तालिबान के लिए मदद मांगते दिखे । इधर चीन ने भी तालिबान को लगभग 300 बिलियन डॉलर देने की बात कही है ।
लेकिन यह पैसे कैश के रूप में नहीं मिलेगी बल्कि यह पैसे तालिबान सरकार भोजन ,वैक्सीन और विंटर के सामन के तौर पर मिलेगी । यूनाइटेड नेशन ने यह चेतावनी दी है की सितम्बर के अंत तक अफगानिस्तान में भुखमरी की स्थिति पैदा होने वाली है । संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNHCR ने यह कहा है की अफगानिस्तान की एक तिहाई जनता भुखमरी से जूझ रही है । ऐसे में अगर जल्द ही उन्हें भोजन न मिला तो उनकी स्थति और भी बदतर हो जायेगी । हालाँकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने तालिबान को सीधे तौर पर कहा है की अगर वह अपने किये गए वादों पर खरा उतरता है तो विदेशों से उसे फण्ड मिलेगी । जबकि तालिबान अपने वाडे के वषट काम करता हुआ दिखाई दे रहा है । वह राजमहिलाओं पर नए नए कानून ला रहा है । तालिबान ने महिलाओं को परदे में रह के पढ़ने की हिदायत दी है साथ ही अफगानिस्तान में महिलाओं के क्रिकर्ट खेलने पर भी बैन लगा दिया है ,ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है की तालिबान की सोच महिलाओं के प्रति क्या है ।