इस बात के लिए इतिहास गवाह है की जब भी कोई दो देश लड़ते हैं तो उसका खामियाजा उसकी जनता को भुगतना पड़ता है। सिर्फ जंग के दौरान ही नहीं जंग के बाद भी एक लम्बे समय तक अपनी समस्याओं से वे ऊपर उठा नहीं पाते हैं। जंग में थोड़ा या ज्यादा सबका नुक्सान होता है परन्तु सबसे ज्यादा नुक्सान उस जंग में लड़ रहे सैनिकों का होता है। ये सेंक चाहे किसी भी तरफ के हो शहीद होना ही पड़ता है देश के लिए लड़ते लड़ते। और जो कुछ वे अपने पीछे छोर जाते हैं वो है उदासी ,मायूसी और कुछ अच्छी यादें। उनके जाने और खोने का दर्द शायद उनका परिवार और उनसे प्यार करने वाले लोग ही समझ सकते हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति यूक्रेन और रूस के तरफ से लड़ रहे सैनिकों की है। गलत कौन है सही कौन है अगर इस तर्क को अलग कर के देखे तो दोनों तरफ लड़ने वाले इंसान ही है और उनका भी एक परिवार है बिलकुल आम लोगों की तरह और उन्हें उनकी जरुरत भी है।
यूक्रेन के कमजोड़ हालत को देखते हुए वहां के आम नागरिक यूक्रेन की सेना में भर्ती हो रहें हैं। अपने देश के प्रति यह प्यार और देश भक्ति वाकई कबीले तारीफ़ है। मगर यह प्यार केवल यूक्रेन की जनता ही नहीं दिखा रही है बल्कि यूक्रेन की सरकार भी अपने सैनिकों के प्रति अपने कर्तब्यों का निर्वहन कर रही है। दरअसल यूक्रेन की सरकार ने अपने देश के लिए लड़ रहे सैनिको के वेतन में इजाफा करते हुए उनके वेतन में वृद्धि कर दी है। भारतीय रुपये के मुताबिक अब उन्हें हर महीने 2.5 लाख रुपये मिलेंगे। यह सरकार की यह निति भी हो सकती है ताकि अधिक से अधिक लोग सेना से जुड़े और रूस के खिलाफ जुंग लड़े। वैसे तो सच है की पैसों से बढ़कर मोल जिंदगी का होता है। पैसे कभी उस जिंदगी की जगह नहीं ले सकते परन्तु यूक्रेन सरकार किए इस कदम से उन सैनिकों के परिवार को काफी मदद मिल सकती है जिनको उन्होंने अपने देश और देशभक्ति के पीछे रखा है।